शुक्रवार, 19 मार्च 2010

नज़र

मुल्क में रहना हो ग़र

जाँचिये खुद की नज़र

चश्मे-ग़ुरू-बाशिन्दगी

का असर, हम-कद-कसर।

________ गज़न्फर, गज़न्फर।

इस्तमाली खाना थाली

हो गया सुराख- ऐ-घर?

इधर से मैं उधर से तू

गौर फरमा, पता कर।

________ गज़न्फर, गज़न्फर।

असबाब को ही दी तवज्जो

आये नज़र कमतर ज़बर।

पीर मुंसिफ मौलवी

सबका नज़रिया बेअसर।

________ गज़न्फर, गज़न्फर।

ज़ारी...

2 टिप्‍पणियां:

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

बहुत खूब .....!!

इन्तजार है .....!!

Sumit Pratap Singh ने कहा…

badiya hai pratul ji...
kripya word varification hataa den...