Urdu Kavita
मंगलवार, 6 अक्टूबर 2009
मौहब्बत का रहबर
प्यार के
इज़हार का
ज़रिया
मुलाकात है।
मुलाकात हो बेहतर
ज़रूरी
जज़्बात हैं।
और
मुँह से जज़्बात
गोया साफ़ नहीं होते।
हो मयस्सर
अदायें
अगर
और जुदा
बदनीयत
तो समझो
करीब है
मौहब्बत का रहबर।
[उर्दू-अभ्यास]
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